Friday, June 7, 2013

बेटी की एक तस्वीर पर

खड़े होकर हिमगिरि के इस उन्नत शिखर पर
किस नई उड़ान के ख्यालों में मगन है यह लडकी?
है नहीं इसके पास ख्यालों की कडकी
चेहरे पर झलकता आत्मबल और संकल्प
तलाश रहा हो जैसे कोइ नया विकल्प
इरादे दिखते बुलंद अंतरिक्ष के उड़ान की
मानेगी नहीं ये कोई सीमा किसी आसमान की
खोयेगी नहीं होश उड़ान के जोश में
धरती को रखेगी सदा नज़रों के आगोश में
दिखी थी उस दिन जुलूस में लगाती इन्किलाबी  नारे
काँप गए थे ज़ुल्म के ठेकेदार सारे
रुकेगा नहीं अब इसका एक नए विहान का अभियान
आते रहें रास्ते में कितने भी आंधी-तूफ़ान
[ईमि/०८.०६.२०१३]

No comments:

Post a Comment