Wednesday, June 12, 2013

इंसानों की खरीद-फरोख्त

 आओ ख़त्म कर दें मिलकर ऐसे निजाम
इंसानों की खरीद-फरोख्त को हो जिसमे इंतज़ाम
सतयुग से ही चलता आ रहा है यह वीभत्स रिवाज़
बीबी-बेटे के साथ बिक गए थे जब हरिश्चंद्र महराज
[ईमि/१३.०६.२०१३]

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