Saturday, July 3, 2021

शिक्षा और ज्ञान 323 (ज्ञान की भाषा)

 बौद्ध शिक्षा प्रणाली के अतिरिक्त लगभग सभी ऐतिहासिक शिक्षा प्रणालियों में शिक्षा द्वारा दिए जाने वाले ज्ञान की भाषा हमेशा अभिजन (शासक वर्ग) की भाषा रही है। हमारे यहां पहले संस्कृत ज्ञान की भाषा थी, फिर फारसी हो गयी और फिर अंग्रेजी। शिक्षा की सार्वभौमिक सुलभता तथा जनांदोलनों के परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे आमजन की भाषा (हिंदी) भी ज्ञान की भाषा के रूप में स्वीकृति हासिल कर रही है। 19वीं सदी तक अंग्रेजी उपनिवेशों में शासक वर्गों की भाषा थी और इंगलैंड में आमजन की। लंबे जनांदोलनों के फलस्वरूप अंग्रेजी को ज्ञान की भाषा का दर्जा मिला। ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी को एक विषय एवं शिक्षा के माध्यम के रूप में क्रमशः 1892 और 1894 में स्वीकृति मिली। उसके पहले लैटिन में पढ़ाई होती थी। मैं अपने हिंदी माध्यम के छात्रों को अंग्रेजी किताबें पढ़ने को प्रोत्साहित करता था क्योंकि अच्छी किताबें अंग्रेजी में ही हैं, हिंदी में अच्छी किताबों के बुरे अनुवाद। हिंदी माध्यम के छात्रों की बढ़ती संख्या के चलते अब हिंदी में भी अच्छी किताबें लिखी जा रही हैं। आशा है शीघ्र ही बंगाल में बांगला की तरह हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी शिक्षा के ज्ञान की प्रमुख भाषा बन सकेगी।

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