Monday, July 19, 2021

मार्क्सवाद 253 (सर्वहारा की तानाशाही)

राज्य शासक वर्ग के हितों के संरक्षण का उपकरण है जिसे वह कानून के जरिए कार्यरूप देता है। रूसो का कहना है कि जिस पहले व्यक्ति ने जमीन के एक टुकड़े को घेर कर अपना घोषित किया वह सभ्यता (संपत्ति आधारित) का जनक है और इस तरह लोगों के साथ पहला धोखा था। फिर सबकी शक्ति से कुछ लोगों की संपत्ति की रक्षा के लिए राज्य की स्थापना हुई और चोरी कानूनी अधिकार बन गया जो लोगों के विरुद्ध दूसरा धोखा है। इसीलिए उसने सार्वजनिक विमर्श से सार्वभौमिक कानून (जनरल विल) की अवधारणा दिया। जनरल विल के निर्माण में हर व्यक्ति अपने निजी अधिकार सामूहिकता को समर्पित करके उसका अभिन्न हिस्सा बन जाता है, निजी अधिकार को सामूहिक अधिकार में तब्दील कर देता है। इस प्रक्रिया में वह कुछ खोता नहीं, निजी रूप से जो देता है उसे सामूहिकता के अभिन्न हिस्से के रूप में प्राप्त करता है। "किसी को भी जनरल विल (जनादेश) को उल्लंघन की अनुमति नहीं होगी, दूसरे शब्दों किसी को भी पराधीनता (अनफ्रीडम) का अधिकार नहीं होगा। इसका पहला प्रयोग अल्पजीवी पेरिस कम्यून में किया गया, जिसे एंगेल्स ने सर्वहारा की तानाशाही कहा था और जिसे लेनिन ने रूसी क्रांति के बाद परिभाषित किया। ऐतिहासिक परिस्थितियों के दुर्भाग्य से लेनिन की असमय मृत्यु के बाद सर्वहारा की तानाशाही पार्टी नेतृत्व की तानाशाही में बदल गयी। उम्मीद है कि अगली क्रांति के बाद सर्वहारा की तानाशाही अपने सही रूप में स्थापित हो सकेगी।

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