समाज हिंसक नहीं होता, समाज के असमाजिक तत्व हिंसक होते हैं। दंगा हमेशा प्रायोजित होता है और अगर कोई भी सरकार चाहे तो किसी भी दंगे को आधे घंटे में रोक सकती है। कोई भी दंगा सरकार की मिलीभगत से ही महीनों चल सकता है। हर काम का मकसद होता है, दंगों द्वारा चुनावी ध्रुवीकरण के लिए गोधरा प्रायोजित किया गया था। तलवार-त्रिशूल से लैस हजारों कारसेवकों की मौजूदगी में रेल के डिब्बे में बाहर से इतनी भयंकर आग नहीं लगाई जा सकती।
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