आप मेरी बात सीरियसली न लेकर अपना ही नुक्सान करते हैं। एक विवेकशील इंसान की अपनी संभावनाओं को कुंद कर अंधभक्ति की तरफ अग्रसर होंगे। एक शिक्षक होने के नाते चेतानामेरा फर्ज है कि इंसान बनना सुखद अनुभव है। मार्क्सवादी आत्मालोचना के सिद्धांत में यकीन करता है इसलिए उसके अंधभक्त बनने की कोई संभावना नहीं बचती। वर्ग ( वर्ण या जाति) विभाजित समाज में कभी संस्कृति नहीं संस्कृतियां होती हैं, मसलन ब्राह्मण संस्कृति और बहुजन संस्कृति। आप मुझे सीरियसली नहीं लेते तो मैं भी आप पर समय नष्ट करना नहीं पसंद करूंगा। क्योंकि समय निवेश सोद्देश्य होता है, निरुद्देश्य समय खर्च करना, समय की बर्बादी है। नमस्कार।
और हां साम्यवाद कभी किसी की दास नहीं होता, मजदूरों को वर्गचेतना से लैस कर क्रांति के लिए संगठित करने की विचारधारा है। इतिहास का भावी नायक सर्वहारा वर्गचेतना के आधार पर जब संगठित होगा तब मिथ्या चेतना के वशीभूत धनपशुओं (शासक वर्ग) की कारिंदगी कर रहा लंपट सर्वहारा भी अपना वर्ग हित समझ सकेगा और पाला बदल लेगा। सरकारी मशीनरी के पुर्जों को छोड़कर श्रम बेचकर रोजी कमाने वाला हर व्यक्ति मजदूर होता है। सरकारी तंत्र के पु्र्जों का (अ)वर्ग चरित्र आपको एक बार बताया था।
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