Sunday, September 23, 2018

अर्बन नक्सल



वह शहरों में रहता है फिर भी गांव के किसान की बात करता है
जो सारी विपदाएं दैविक समझ बर्दास्त करता है
अति होने पर ही आत्महत्या करता है
वह उनमें असंतोष की ज्वाला दहकाता है
राष्ट्र की जल-जंगल-जमीन पर
आदिवासी का हक बतलाता है
कॉरपोरेटी विकास का रहस्य खोलता है
राष्ट्र की गोपनीय करारों को सर्वजनिक करता है
अभिव्यक्ति की आजादी का बेजा इस्तेमाल करता है
अतः संवैधानिक अधिकारों की आड़ में
 राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में डालता है
वह अर्बन नक्सल है
उसे जेल में डाल दो।
वह गरीब नहीं है फिर भी गरीबी की बात करता है
गरीब गुरबे को बेदखली के खिलाफ भड़काता है
उन्हें जंगे-आजादी के गीत सिखाता है
हिंदुत्व राष्ट्रवाद को फासीवाद कहता है
कश्मीरियों के भी मानवाधिकार की मांग करता है
अमीरों की अरबों की कमाई को मजदूरों का माल बताता है
घूम-घूम कर देश-विदेश
 हिंदुत्व के वसूलों को हिटलरी चाल बताता है
वीर सावरकर के माफीनामे के सहारे
उनके बलिदान को नजरअंदाज करता है
मार्क्सवाद जैसी विदेशी विचारधारा का प्रसार करता है
हिंदु-राष्ट्रवादी सरकार को उखाड़ फेंकने की गुहार करता है
उसकी विकास की नीति को काला कारनामा बताता है
अंबानी की सेवा में रफाल डील को महाघोटाला बताता है
और तो और देश के चौकीदार को अंबानी का चाकर कहता है
कल्कि अवतार पर नरसंहार का आरोप लगाता है
पूजने की बजाय उसे नफरत का सरताज कहता है
इस तरह वह ईशनिंदा को अंजाम देता है

विधर्मियों के वध को नरसंहार बताता है
और-तो-और देश द्रोह के अड्डे जेयनयू को ज्ञान का सागर कहता है
हिंदुत्व के शूरवीरों के क्लीन-चिटिया जजों को मक्कार बताता है
घूम-घूम कर जनवाद का प्रचार करता है
विकास के विस्थापन को मानवाधिकार पर आघात बताता है
कुल मिलाकर वह जनादेशित सरकार की अस्थिरता का प्रयास करता है
वह अर्बन नक्सल है, राष्टवाद की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा
कल्कि-अवतार का आदेश है उसे जेल में डाल दो।
n  ईश मिश्र/24.09.2018

2 comments:

  1. 99 पागलों के साथ एक सामान्य आदमी कैसे रहे? उसे भी पगला जाना चाहिये।

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