कारण कुछ भी हो किसी से थूक कर चटवाना एक कुत्सित, घृणित और विकृत दिमाग की उपज है। पूर्वी उत्तर प्रदेश का दबंग यादव (खास कर मुलायम-अखिलेश के शासन काल में) दलितों के साथ वैसा ही सामंती-दमनकारी व्यवहार करते था जैसे पहले राजपूत दबंग। मैं कही-सुनी या आंखों देखी नहीं भोगी बात बता रहा हूं। 1991 में भाजपा उ.प्र. में मंदिर अभियान से नहीं मुलायमी कुशासन और यादवी गुंडागर्दी के विरुद्ध जनाक्रोश से जीती थी। जब भूमंडलीकरण पर स्टैंड लेने की बारी आई तो मुलायम-माया पैसे खाकर बैठ गए। बाभन से इंसान बनना तो जरूरी है ही, अहिर से इंसान बनना भी उतना ही जरूरी है।
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