Tuesday, October 10, 2017

शाह-जादा

पढ़ेंगे बच्चे एक कहानी
बात न होगी बहुत पुरानी
शाह नाम का एक था प्यादा
शाह-जादा था एक हरामजादा
चलाता था कंपनी मंदिर के नाम
शह पर शहंशाह की लूटता था आवाम
बैठा जैसे ही चाय वाला गद्दी पर
मंदिर के धंधे में उग आए दैवीय पर
घाटे में चलता था मंदिर का धंधा
लूट पर उसके कानून बन गया अंधा
लूट के पहली साल हुआ हजारों का फायदा
दूसरी साल में हुआ 16000 गुना इजाफा
छापी यह बात जब एक अखबार ने
मानहानि बताया इसे चोरों की सरकार ने
लुटेरे मानिंद बन गए चोरों के राज में
मचाया सरकारी वकील ने मानहानि का शोर
सरकार करने लगी हिमायत लूट की पुरजोर
लेकिन धीरे-धीरे जगने लगा तंद्रा से आवाम
कर दिया नकली देशभक्तों का काम तमाम
(ईमि: 11.10,2017)





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