मानव प्रवृत्ति नहीं खास ढंग से ढाली गयी मानव प्रवृत्ति। धर्शास्त्रीय वर्चस्व का यह अंधा युग यूरोप और भारत में साथ-साथ शुरू हुआ, वहां नवजागरण और प्रबोधन आंदोलनों ने उस अंधेयुग में दीपक जलाए। यहां ये आंदोलन हुए नहीं, नया नवजागरण हो रहा है मिथकों के वैकल्पिक व्याख्या से।
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