1970-80 के दशक में कई लतीफे सोवियत संघ से ही आते थे। जनतांत्रिक केंद्रीयतावाद, वस्तुत: अधिनायकवादी केंद्रीयतावाद बन गया था, जो परंपरा कम्युनिस्ट पार्टियों अब भी बरकरार है। राजनैतिक चुटकुलों में हास्यभाव होना चाहिए, पूर्वाग्रही वैमनस्य भाव नहीं। एक काफी प्रचलित चुटकुला था। स्टालिन की मौत के बाद ख्रुस्चेव पार्टी कांग्रेस में स्टालिन के फैसलों की बखिया उधेड़ रहे थे। किसी ने पूछा आप भी तो केंद्रीय कमेटी में थे तब क्यों नहीं बोले? ख्रुस्चेव ने कड़क कर पूछा, किसने सवाल किया है। सन्नाटा। उन्होंने कहा, मैं भी यही कर रहा था।
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