नोटबंदी से मची त्राहि-त्राहि के दौरान एक छोटा लेख लिखा था कि यह संकट बैंको में नगदी समस्या के चलते इस कॉरपोरेटी सेवक सरकार ने तुगलकी फरमान जारी किया था। नगदी समस्या 'बैड लोन' (यनपीए) के कारण थी जो जारी है। यह बैड लोन पूंजीपतियों द्वारा सरकारी कर्ज न लौटाने के चलते है। कर्जदारों की संपत्तियां जब्त करने की बजाय सरकार ने आम आदमी को लूट कर नगदी संकट का समाधान निकालने की कोशिस में अर्थव्यवस्था को तहस नहस कर दिया। आररबीआई से आरटीआई के जरिये मिले आंकड़ों के अनुसार भारतीय बैंकों का बैड लोन 146 अरब डॉलर (9.5 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है। बैंकों के कुल बेड लोन छह महीने में अंत-जून में 4.5% की बढ़ोतरी हुई। पिछले छह महीनों में, वे 5.8% बढ़ गए थे। संकट के दो मुख्य कारण हैं, बैड लोन और विदेशों में जमा काला धऩ जिसके अपराधी पेप्सी और जहालत बेचने वाले फिल्मी नायक अमिताभ बच्चन से लेकर बड़े-बड़े हरामखोर नेता (कम्युनिस्ट पार्टियों को छोड़कर) और इन्हें पालने वाले पूंजीपति हैं। पनामा पेपर्स मे नाम आने पर नवाज शरीफ जेल में हैं, लेकिन भारत में राम-राज्य है। यह संकट इस सरकार के तहत बढ़ता ही जाएगा। (पिछली और इसमें इस मामले में कोई गुणात्मक फर्क नहीं है क्योंकि दोनों साम्राज्यवादी, भूमंडलीय पूंजी के वफादार चाकर हैं) आने वाले दिनों में बढ़ती छटनी और बेरोजगारी में भयानक इजाफा होगा और देश 1930 के मंदी के संकट से भी भयानक संकट में फंसेगा, यदि आवाम जगा तो क्रांति होगी नहीं तो तबाही बढ़ती जाएगी और भारत बनाना रिपब्लिक बन जाएगा।
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