Monday, November 16, 2015

इंसानियत के दुश्मन भेष बदल कर आते हैं

इंसानियत के दुश्मन भेष बदल कर आते हैं
कभी आईयसआईयस तो कभी आरयसयस कहलाते हैं
करते हैं धरती लहूलुहान और नफरत की फसल बोते हैं 
करते हैं कत्ल इंसानियत का और धर्मध्वजा फहराते हैं
कोई अल्लाह की तो कोई राम की मर्जी इसे बताते हैं
बनाकर इंसानों को बौना राष्ट्र महान बनाते हैं
असहमति को  मजहब से गद्दारी करार देते हैं
होते जब सत्तासीन तो उसे राष्ट्रद्रोह की संज्ञा देते हैं 
भेजने लगा जबसे मशीहे या लेने लगा खुद अवतार
हो गई इतिहास में मशीहा-अवतारों की भरमार
एक तरफ है चंगेज-मुसोलिनी-हिटलरों की कतार 
करने को पूंजी की पूजा और मजहब का प्रचार
मूंजे-मौदूदी, गोलवलकर-ओवैसी आते रहे हैं लगातार 
लिया हिंदुस्तान में प्रभु ने अब कल्कि अवतार
बचेगा न कोई करता जो हिंदुत्व को शर्मशार
जैसे इस्लाम के दुश्मनों को रही आईयसआईयस मार
लेते प्रभु जब किसी राष्ट् का अवतार 
कंधे पर होता उनके सभ्यता का भार
बधता असभ्य इंसान लूटता उनका देश
देता सारी मानवता को नई सभ्यता का संदेश
लेता प्रभु जब संयुक्त राज्य का रूप 
मुक्त करता राक्षसी कब्जे से तेल के कूप  
रक्षसों को खोज-खोज कर मारता है 
स्कूल-अस्पतालों पर भी बमबारी करता है
आतंकवाद की संभावनाओं को नेस्तनाबूद करता है
इंसानियत जब ईशद्रोह पर उतर आती है
मशीहा-अवतारों की हिटलिस्ट में आ जाती है
मेरी हिटलिस्ट में हैं सारे मशीहा ओ अवतार
लगाता हूं खात्मे को इनके आवाम की गुहार
(बस  ऐसे ही, सुबह-सुबह कलम की आवारगी)
(ईमिः 17.11.2015)

4 comments:

  1. सुन्दर रचना,

    आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #मिट्टीकेदिये पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/mitti-ke-diye.html

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    1. शुक्रिया. अवश्य देखूंगा अापका ब्लॉग

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