Saturday, March 21, 2015

कायर हमलावर

कायर होता है हमलावर अौर निहायत डरपोक
डराना चाहता है हमें हथियरो के बूते
नहीं जानता वह मूर्ख यह बात
डरता नहीं  क्रांतिकारी न भूत से न भगवान से
जानता है वह यह  रहस्य
कि डर डर कर जी नहीं जाती ज़िंदगी
डर डर कर मरता है नामाकूल मंद गति से
जानता नहीं वह निडर ज़िंदगी का लुत्फ
लिख रहा था किशोर भगत सिंह जब क्रांतिकारी अांदोलन का इतिहास
पूछा था इक सवाल खुद से
कि क्यों लड़ता है इंकिलाबी मज़लूमों के लिये
खुद-ब-खुद दिया था जवाब खुद को
कि क्योंकि अौर कोई रास्ता नहीं है उसके पास
डर कर हमलावर हो रहा है कायर डरपोक
क्योंकि हमने डरना बंद कर दिया है.
(ईमिः21.03.2015)

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