हर युग में वही शासक वर्ग होता है जिसका आर्थिक संसाधनों पर नियंत्रण होता है। नवउदारवादी भारत के शासक वर्ग धनपशु (पूंजीपति) ब्राह्मणवाद को औजार बनाकर मुल्क लूट रहे हैं। हिंदुत्व ब्राह्मणवाद की राजनैतिक अभिव्यक्ति है। क्लासिकल वर्णाश्रमवाद में भी सत्ता और आर्थिक संसाधनों पर कभी भी जातीय समूह के रूप में ब्राह्मणों का नियंत्रण नहीं रहा, लेकिन चूंकि वर्णाश्रम व्यवस्था को वैचारिक रूप देने वाले बुद्धिजीवी ब्राह्मण थे इसी लिए विचारधारा के रूप में ब्राह्मणवाद वर्णाश्रमवाद के पर्याय के रूप में इस्तेमाल होता है।
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