आज मेरा अनाधिकारिक किंतु वास्तविक (जन्मकुंडली में अंकित) जन्मदिन (67वां) है।
अधिकारिक (प्रमाणपत्र में अंकित) जन्मदिन के हिसाब से तो मैं 3 फरवरी को ही 68 साल का हो गया।
मैं लंबे समय (21 साल की उम्र तक) अपना सही-सही जन्मदिन नहीं जानता था, कुंडली में आषाढ़ कृष्ण पक्ष की तिथि है तो इतना जानता था कि जून-जुलाई में होगा। गांव में जन्मदिन मनाने जैसे व्यक्तिगत उत्सवों की संस्कृति नहीं थी, इसलिए जानने की जरूरत नहीं हुई। प्राइमरी में कक्षाओं की दो उछालों (गदहिया गोल [प्रीप्राइमरी] से कक्षा 1 और कक्षा 4 से 5 में प्रोमोसन) के चलते 1964 में 9 साल की उम्र में प्राइमरी पास कर लिया। उन दिनों हाई स्कूल की परीक्षा की न्यूनतम उम्र 15 वर्ष थी। 1 मार्च 1969 को 15 वर्ष का होना चाहिए था तो बाबू साहब (बासुदेव सिंह, हेड मास्टर) को 1954 की फरवरी की जो भी तारीख (3) दिमाग में आई लिख दिया। मेरे पिता जी फैल गए, बोले कि लोग तो 3-4 साल कम लिखाते हैं और वे मेरी डेढ़ साल ज्यादा क्यों लिख रहे थे? बाबू साहब के समझाने पर पिताजी मान गए।
जेएनयू में एमफिल ज्वाइन करने के बाद समाजवादी आंदोलन में विघटन पर एक टर्मपेपर लिखने के चक्कर में तीनमूर्ति लाइब्रेरी के माइक्रोफिल्म सेक्लन में 1950 और 60 के दशक के हिंदी केअखबार देख रहा था। उन दिनों हिंदी अखबारों में रोमन कैलेंडर की तारीख के साथ विक्रम और/या शक कैलेंडर की भी तारीखें होंगी। आषाढ़ कृष्णपक्ष दशमी संवत 2012 26 जून 1955 को थी। उस साल से मैं भी दोस्तों के साथ मयनवोशी करके जन्मदिन मनाने लगा।
इसके बावजूद कि मेरी फोटोग्राफी बहुत बुरी है,आज पुरानी तस्वीर शेयर करने की बजाय ताजा सेल्फी ले लिया । वैसे अब तक इनबॉक्स और व्हाट्सअप पर कई बधाइयां मिल चुकी होंगी। सभी का आभार और अब बधाई देने वालों का अग्रिम आभार।
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