Saturday, November 6, 2021

जस्न-ए-चरागा

 दीपावली को दीवाली को जश्न-ए-चरागा कहने का ऐतिहासिक महत्व है।, अकबर के दरबार में दीपों के उत्सव दीवाली को जश्न-ए-चरागा कहकर मनाया जाता था। एक धर्म के धर्मांधों द्वारा दूसरे धर्मके प्रतीकों का मजाक बनाना या भौंड़ाकरण अपवाद नहीं है लेकिन दीपों के त्योहार को जश्न-ए-चरागा कहने के पीछे उसके भौंड़ाकरण की नीयत और मजाक बनाने की मनसा नहीं दिखती। मैं तो इंटर तक चिराग को हिंदी का ही शब्द समझता था। इलाहाबाद विवि में एबीवीपी के एक कार्यक्रम में इलाबाद के तत्कालीन संगठनमंत्री हरिमंगल प्रसाद त्रिपाठी ने एक चर्चा में खानदान का चिराग शब्द पर आपत्तिकी औऱ कुलदीपक शब्द का प्रयोगकरने को कहा तथा उस समय मुझे उनकी राय सर्वथा उचित लगी थी। ( संगठन मंत्री विद्यार्थी परिषद की संबद्ध इकाई का सर्वोच्च अधिकारी होता है लेकिन वह विद्यार्थी नहीं होता, आरएसएस का पूर्णकालिककार्यकर्ता (प्रचारक) होता है।) अबललगता है कि दूसरी भाषाओं के शब्दों से दुराव भाषा की संकीर्णता है तथा दूसरी भाषा के शब्दों अपने में समाहित करने से भाषा समृद्ध होती है। अंग्रेजी के आधे से अधिक शब्द विदेशी भाषाओं से अपनाए गए हैं।

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