मैं एक बार अपने गांव (सुलेमापुर, आजमगढ़ ) से इलाहाबाद साइकिल से गया था। उसी साल (1972) इलाहाबादविवि में प्रवेश लिया था। शहर में आने-जाने के लिए घर से साइकिल लेकर आना था। बाढ़ और बर्षात से जगह जगह सड़कटूटी होने के चलते बस सेवा बाधित थी। घर से पवई पैदल आते थे वहां से शाहगंज ( घर से कुल12 मील) की यात्रा वैसे तो इक्के की थी लेकिन जब साइकिल हो तो इक्के की सवारी क्यों की जाए। रास्ते में सड़कें टूटी होने से शाहगंज से जौनपुर की बस सेवा उस दिन बंद थी। वहां से जौनपुर साइकिल से आ गए। वहां से बस पर साइकिल लाद कर मछलीशहर पहुंचे । सई नदी पर पुल टूटा था, नाव से सई पार कर मछली शहर पहुंचे तो शाम हो गयी थी। रात एक दूर के रिश्तेदार के यहां बिताया। अगले दिन बस न मिलने पर साइकिल से फूलपुर तक आ गए वहां से 3 घंटा बाद बस मिलती सो साइकिल से ही चल पड़े और शाम तक इलाहाबाद पहुंच गए।
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