किसी ने इनबॉक्स में किसी का सवाल शेयर किया कि मोदीजी कि डिग्री अगर सही है तो उनके साथ पढ़ा कोई-न-कोई व्यक्ति सामने आया होता। उस पर
बीए तो स्कूल ऑफ करेस्पांडेस कोर्सेज (अब स्कूल ऑफ ओपेव लर्निंग) से "किया था, उसकी वीकेंड्स में क्लासेज तो होते हैं लेकिन बहुत लोग कभी अटेंड नहीं करते। अटेंडेस आवश्यक नहीं होती। छपे हुए अध्याय मिल जाते हैं, जो कि काफी लाभप्रद पाठ्य सामग्री होते है। अध्याय के संबधित शैक्षणिक क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों से लिखवाया जाता है। इग्नू के लेसन ( इग्नू की शब्दाली नू की शब्दालवी में यूनिट) भी बहुत लाभप्रद होते हैं। हर यूनिट संबधित क्षेत्र के विशेषज्ञों से लिखवाई जाती है तथा उसकी वेटिंग होतीहैफिर मॉडरेसन)। दिवि समेत दूसरे विश्वविद्यालयों के छात्र भी इग्नू रीजजनल सेंटर्स से खरीद कर पढ़ते हैं। (अरे यह तो इग्नू का विज्ञापन सा हो गया) जब मैं तलाशेमाश में इवि समेत देश भर घूम घूम कर इंटरवि दे रहा था। कई जगह पैनल में नाम होता, लेकिन पद-संख्या के अगले नंबर पर (नेक्स्ट)। ऐसे में इग्नू से मुझे नौकरी का ऑफर मिला। कृतघ्नता में साल भर में ही दिवि में एक टेंपरेरी नौकरी के लिए छोड़ दिया। बाकी कहानी फिर
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