अब्दुल रशीद (स्वामी श्रद्धानंद का हत्यारा) आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी था और गोडसे (महात्मा गांधी का हत्यारा) आजाद भारत का पहला। मैं गांधीवादी नहीं हूं लेकिन गांधी कीइस बात से अंशतः सहमत हूं कि इस तरह के आतंकवाद के जिम्मेदार जितने इसे अंजाम देने वाले (रशीद या गोडसे) हैं, उतने ही जिम्मेदार सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले हैं। बल्कि असली जिम्मेदार फिरकापरस्त नफरत फैलान् वाले हैं, क्योंकि न तो रशीद की स्वामी श्रद्धानंद से निजी दुश्मनी थी न ही गोडसे की गांधी से । सांप्रदायिक दंगों में हत्या-बलात्कार को अंजाम देने वाले, या मॉबलिंचिंग करने वाले उतने जिम्मेदार नहीं हैं जितनी सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाली विचारधाराएं और नेता।
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