किसी पर कुछ थोपा नहीं जा रहा है सिर्फ यही कहा जा रहा है कि किसी ऐरे-गैरे फिरकापरस्त द्वारा गांधी जैसे ऐतिहासिक महामानव का निराधार चरित्र हनन सूरज पर थूकने जैसा है जो नवापस थूकने वालेके मुंह पर ही गिरता है। आपसेयही पूछा गया है कि गांधी नेकिस भाषण-लेखन मेंहिंदू नरसंहार का समर्थन किया है? शाखा के बैद्धिक का विषवमन अफवादजन्य है। थोड़ा तथ्यपरक इतिहास पढ़तेतो पता होता कि वैसे गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि नरवींद्रनाथ टैगोर ने दीथी और अपनेसमय के महानतम व्यक्तित्व की उपाधि आइंस्टॉाइन ने। यह भी पता होता खिलाफत तुर्की का आंदोलन था हिंदुओं पर हमला नहींऔर खिलाफत का समर्थन कांग्रेस ने नेता केरूप में गांधी केउदय के पहले किया था।
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