हर अगली पीढ़ी तेजतर होती है तभी हम पाषाणयुग से सइबर युग की यात्रा कर सके। ज्ञान-विज्ञान निरंतर प्रक्रिया है हर पीढ़ी पिछली पीढ़ियों के ज्ञान को समेकित कर उसे आगे बढ़ाती है। यह कहना कि चरवाही-पशुपालन युग के हमारे पूर्वज हमसे अधिक बुद्धिमान थे, निरा मूर्खता और पोंगापंथ है। न्यूटन के नियम के अनुसार वस्तु की गति का विरोध उसकी जड़ता का प्रतिरोध करता है। यूरोप में प्रबोधन काल के ज्यादातर चिंतक नास्तिक नहीं, deist थे जो ब्रह्मांड के रचइता के रूप में ईश्वर की सत्ता को तो मानते थे लेकिन दुनियादारी (पार्थिव गतिविधियों) में उसकी भूमिका नहीं। धर्मांधों द्वारा ब्रूनो को रोम के चौराहे पर जिंदा जला दिया गया था। थॉमस पेन जैसों के घर जलाए गए और उनकी रचनाएं छापने वाले प्रकाशकों के प्रेस। सभी महानताएं अतीत में ढूंढ़ने वाले वतर्मान के विकास को बाधित करते हैं और भविष्य के खिलाफ साजिश।
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