क्रांति के नियोजित समय के पहले ही कार्टिज की भावुक घटना ने क्रांति की योजना में थोड़ी गड़बड़ी कर दी। महीनों से गांव-गांव रोटी और कमल के प्रतीक के संप्रेषण से क्रांति के संदेश भेते जा रहे थे। 1857 की क्रांति जनअसंतोष के अभिव्यक्ति की किसान क्रांति थी जो सफलता की दहलीज पर पहुंच कर भारतीय रजवाड़ों की गद्दारी से रुक गयी तथा क्रांतिकारियों के दमन में सभ्यता के बोझ से दबे औपनिवेशिक शासकों ने बर्बरता के नए कीर्तिमान स्थापित किए। मालीपुर से फैजाबाद तक पकड़े गए क्रांतिकारियों को सड़क के किनारे पेड़ों पर फांसी पर लटकाया गया।
रोटी मिलजुल कर खाने और सामूहिकता के संदेश का प्रतीक थी और कमल देश को खिला हुआ देखने का। सिंधियाओं और निजामों ने गद्दारी न की होती तो देश 1857 में आजाद होता और 100 साल की लूट से बचकर अलग इतिहास रचा गया होता। 1857-58 के मार्क्स के न्यूयॉर्क ट्रब्यून के लेखों का संग्रहभारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्रम (India's First war of Independence) शीर्षक से छपा।
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