Monday, October 18, 2021

लल्ला पुराण 311 (निहंगों क बर्बरता)

 सिंघु बॉर्डर पर निहंगों द्वारा एक दलित मजदूर की नृशंस हत्या पर मेरे द्वारा पोस्ट न शेयर करने पर एक पोस्ट डाला। वैसे तो मैं बहुत दिनों से किसी पोस्ट पर कमेंट के अलावा कोई पोस्ट नहीं शेयर कर पाया। उस पोस्ट पर कई लोगों ने (ज्यादातर मेरी ब्लॉक लिस्ट के) मेरे बारे अपमानजनक निजी कमेंट किए और उन बेहूदगियों को लाइक करने वालों का आचरण भी उनके मौन समर्थक का है। उस पर:


मेरे लिए लिखना आसान काम नहीं है, चाहता हूं इर्द-गिर्द की हर घटना-परिघटना पर लिखूं लेकिन हमेशा लिखना संभव नहीं होता। बहुत दिनों से किसी पोस्ट पर कमेंट ही पोस्ट के रूप में पोस्ट कर रहा हूं। कई बार कुछ संपादक मित्रों के आग्रह पर कुछ घनिष्ठ मित्रों का श्रद्धांजलियां नहीं लिख पाया। बुद्धिजीवी अपनी कामचोरी के लिए भी दार्शनिक तर्क गढ़ लेता है, 'राइटर्स ब्लॉक'। जो लोग मुझ पर निहंगों द्वारा एक मजदूर की नृशंस हत्या पर मेरे न लिखने पर(2-4 लाइन की भूमिका के साथ एक लिंक शेयर किया हूं) ताने मार रहे हैं वे खुद कितना लिखे हैं? दूसरों के अलिखे पर खुद न लिखकर अपने व्यक्तित्व की क्षुद्रता जाहिर करते हुए निराधार निजी आक्षेप करने वाले विश्वविद्यालय से पढ़े लोग लगते हैं या किसी सड़क छाप लंपटता की पाठशाला में प्रशिक्षित? एक को टूबेल ऑपरेटर की याद आ रही है, ट्यूबबेल की सही स्पेलिंग सीखने की बजाय श्रम के अपमान की जुर्रत करते हैं। बेहूदे, निराधार आक्षेप करने वाले ज्यादातर मेरी ब्लॉक लिस्ट में हैं, अब लगता है ऐसे अवांछित लोगों से छुटकारा पाकर सही ही किया है। कुछ की भाषा तो दो कौड़ी के सकड़क छाप लंपटों को भी शर्मसार करती है, एक की प्रोफाइल में तो हाईकोर्ट का वकील लिखा हुआ है, पता नहीं पेटिसन भी ऐसी ही भाषा में लिखते हैं

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