जब भी किसी सामाजिक कुरीति पर बात होती है तो तुरंत कुछ लोग इस्लामी या अन्य धर्मों की कुरीतियों पर लिखने की हिम्मत की बात करने लगते हैं और साथ में उन्हें वामपंथ का दौरा पड़ना आम बात है। वामपंथ होता क्या है, पूछने पर गाली-गलौच करने लगते हैं। ऐसे ही वामपंथ को दौरे से पीड़ित एक सज्जन ने कहा वामपंथ जेहादियों की रखैल है और पैगंबर मुहम्मद द्वारा 9 साल की लड़की से शादी करने की बात जोड़ा। उस पर --
अंधभक्त का दिमाग इतना कुंद होता है कि वह रटा भजन गाने के अलावा कुछ कर ही नहीं सकता, दिमाग में भरे मर्दवादी सड़ांध के चलते रखैल और रंडी की ही भाषा बोल पाता है। वामपंथ क्या होता है? का जवाब नहीं मालुम लेकिन हर बात-बेबात वामपंथ का दौरा पड़ता रहता है। गलती अंधभक्त की नहीं उसके भक्तिभाव के संस्कारों की होती है। वामपंथ के बारे में तब तक सवाल करता रहूंगा जब तक आपको मिर्गी की तरह उसका दौरा पड़ता रहेगा। सद्बुद्धि और भाषा की तमीज की शुभकामनाएं। मोहम्मद साहब का 9 साल की आयशा से शादी करना बहुपत्नी प्रथा और बालविवाह जैसी मर्दवादी सभ्यता की विकृतियों का परिचायक है। हमारे यहां भी बालविवाद की कुरीति अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। विधवा आश्रम और किशोर वय की विधवाओं की मौजूदगी मर्दवादी समाज की इसी विकृति का परिणाम है जिसके तहत उम्रदराज मर्दों की शादी बच्चियों से होती थी। लेकिन बजरंगी सांप्रदायिक मानसिकता का इंसान उसी तरह इस्लामोफोबिया का मरीज होता है जैसे तालिबानी सांप्रदायिक मानसिकता का इंसान बुतपरस्तीफोबिया का।
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