Tuesday, September 28, 2021

शिक्षा और ज्ञान 332 (ईमानदारी)

 यूपीएससी के परीक्षाफल में सफल भारत सरकार प्रशासन के सभी भावी अधिकारियों को बधाई तथा संविधान के प्रति निष्ठा की सपथ निभाने की शुभकामनाएं।

संविधान की सपथ लेकर प्रशिक्षण शुरू करने वाले देश के इन तथाकथित होनहारों में, दुर्भाग्य से, ज्यादातर लड़के जीवन की शुरुआत दहेज लेकर विवाह करने के संविधान विरोधी कृत्य के साथ करते हैं और ज्यादातर अपने संवैधानिक दायित्व निभाने की बजाय राजैनिक आकाओं के निजी चाकर की भूमिका निभाते हुए देश को लूटने और बर्बाद करने में उनकी सहायता करते हैं। अपने परिचित आईएएस/आईपीएस /पीसीएस अधिकारियों में ईमानदारी से नौकरी करने वालों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है और अपवादस्वरूप एकाध ईमानदारी की सनक वालों के नाम याद रहना लाजिम है।।

वैसे ट्रांसफर के 'दंड' की परवाह न करने वाले अधिकारी को कोई कारण वेईमान होने को वाध्य नहीं कर सकता। कई किस्से हैं। हरयाणा कैडर के अशोक खेमका का किस्सा सुविदित है। 19709 के दशक में, जब हम इलाहाबात विवि में पढ़ते थे तो बिहार के ईमानदारी की सनक वाले एक आईएएस, केबी सक्सेना के बारे में किंवदंतियां सुनते थे। रिटायर होने के बाद, पिछले कई सालों से वे हमारे साथ, मानवाधिकार संघठन जनहस्तक्षेप में सक्रिय हैं। जिनकी कुछ कहानियां कभी शेयर करूंगा। 2012 में दरभंगा (बिहार) अशोक पेपर मिल के कलपुर्जों को अवैध रूप से सरकारी संरक्षण प्राप्त एक धनपशु द्वारा बेचने के लिरुद्ध आंदोलित मजदूरों पर गोलीबारी में एक मजदूर की मौत की परिघटना की हम (जनहस्तक्षेप की टीम) फैक्ट-फाइंडिंग करने गए थे। उस धनपशु को सर्वोच्च न्यायालय से बंद मिल चलाने का दायित्व मिला था, वह चोरी-चोरी उसके कल-पुर्जे बेच रहा था। वहां का जिलाधीश एक युवा आीएएस था। एक रिपोर्ट के बारे में हमने कहा कि यदि वह गोपनीय न हो तो हमें एक प्रति दे दे। रिपोर्ट की प्रति देते हुए उसका जवाब था कि पटना में लोग पैसा देकर ले रहे हैं तो गोपनीय कहां रही। मैंने उसे कहा कि ट्रांसफर के लिए वह सदा तैयार रहे तो उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अगले महीने उसका किसी प्रशक्षण केंद्र में ट्रांसफर हो गया। पैसे के लिए जमीर बेचने वालसे अधिकारियों पर तरस आता है कि वे मुफ्त में ही बिकते हैं। कैसे? इस पर फिर कभी।

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