Saturday, October 30, 2021

शिक्षा और ज्ञान 335 (अंधभक्ति)

 किसी भी सरकार के अंधसमर्थक सरकार के आलोचकों को पिछली सरकार का समर्थक मानकर मौजूदा सरकार के कुकृत्यों का औचित्य पिछली सरकारों के कुकृत्यों के जिक्र से करने कीकोशिस करते हैं। एक सज्जन के ऐसे ही ककुतर्क का जवाब ---

अंधभक्त वह होता है जो दिमाग की आंखें बंद कर अपने आराध्य की पूजा करे और उसका अनुशरण करे, आराध्य के कुकृत्यों से भले ही उसे अपार कष्ट क्यों न हो। अपने कष्टों को वह अपने इष्ट, आराध्य द्वारा अपनी भक्ति की परीक्षा लिया जाना मानता है। जैसे इस सरकार के अंधभक्त मंहगाई के समर्थन में तरह तरह के कुतर्क गढ़ रहे हैं। अमेरिका के एक बुद्धिजीवी (नॉम चॉम्स्की) ने कहा था कि कांग्रेस (अमेरिकी संसद) वालस्ट्रीट को नहीं संचालित करती बल्कि वालस्ट्रीट कांग्रेस को संचालित करती है। दरअसल आधुनिक सरकारें शासक वर्ग नहीं शासक वर्ग की चाकर हैं। पूंजीवाद भूमंडलीकरण चरण में नवउदारवादी हैं और वास्तविक शासक वर्ग भूमंडलीय धनपशु (साम्राज्यवादी भूमंडलीय पूंजी और उसके देशी कारिंदे) हैं। इमरान खान और मोदी साम्राज्यवादी भूमंडलीय पूंजी के कारिंदे हैं। मोदी सरकार चाहकर भी शिक्षा और खेती के कॉरपोरेटीकरण की नीतियां (नई शिक्षा नीति और कृषि कानून) वापस नहीं ले सकती क्योंकि वे विश्व बैंक के निर्देश पर बनी हैं, कारिंदा आका के निर्देश का उल्लंघन नहीं कर सकता। एक सरकार के अंधभक्त के पास जब अपने आराध्य के कुकर्मों के औचित्य का तर्क नहीं होता तो दूरी सरकारों के कुकृत्यों के जिक्र का कुतर्क करते हैं। जहां तक पिछली सरकार का मामला है तो भाजपा और कांग्रेस (अमेरिका के संदर्भ में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट या इंग्लैंड में लेवर और टोरी) भूमंडलीय पूंजी की वफादार प्रतिस्पर्धी पार्टियां हैं। शासक वर्ग अपने (कारिंदों के जरिए) आंतरिक तथा प्रायः बनावटी अंतर्विरोधों को इतना बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने की कोशिस करता है कि वास्तविक अंतर्विरोध की धार कुंद कर सके। उम्मीद है मेरी बातों से अंधभक्त से इंसान बनने में आपको मदद मिलेगी। शीघ्र ही पूंजीवाद के उदय और तिजारती चरण से चलकर उदारवादी (औद्योगिक) चरण तथा वित्तीय एकाधिकार चरण होते हुए भूमंडलीय, नवउदारवादी चरण तक पूंजीवाद के विकास की यात्रा के इतिहास पर 25 साल पुराने अपने एक लेख की शॉफ्ट कॉपी बनवाकर शेयर करूंगा। उदारवादी पूंजी के साम्राज्यवाद का चरित्र उपनिवेशवादी था जिसमें उपनिवेशों की लूट के लिए किसी क्लाइव ल्वॉयड की जरूरत पड़ती थी नवउदारवादी पूंजी के साम्राज्यवाद का चरित्र वित्तीय है जिसमें किसी क्लाइव ल्वायड की जरूरत नहीं है, सारे सिराज्जुद्दौला मीर जाफर बन गए हैं। विवेकशील इंसान बनने की शुभकामनाएं।

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