Thursday, January 21, 2021

शिक्षा और ज्ञान 300 (राणा प्रताप)

 गैंग कौन हैं और गलत इतिहास लिखने वाले उनके पुरखे कौन थे? बाकी इतने जाहिल थे कि सही इतिहास नहीं लिख सके? भ्रमित बिना कॉरपोरेटी गुलामी के येन-केन-प्रकारेण जनता के पक्ष में समानांतर समाचार प्रसारण करने वाले पोर्टल कर रहे हैं या धनपशुओं की गुलामी और सरकार की अंधभक्ति करने वाली मृदंग मीडिया। राणा प्रताप निश्चित ही स्वाभिमानी शासक थे जिन्होंने अपनी और अपने राज्य (मेवाड़) की आजादी के लिए, राजपुताने के बाकी सब रजवाड़ों की तरह हिंदुस्तान (पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल अकबर के समय हुआ) के बादशाह की मातहती अस्वीकार कर उसे चुनौती दिया। उनके इस जज्बे को कोटिशः नमन। बीर, रणबांकुरे राणा प्रताप को छोड़कर अकबर की मातहती करने वाले बाकी रजवाड़ों के वंशज गैंग में (वे) हैं कि उसके बाहर (आप)? कृपया इतिहास इतिहास की तरह पढ़ें पुराण या युदेधोंमादी मिथक की तरह नहीं


महाराणा प्रताप निश्चित रूप से एक स्वाभिमानी, बहादुर योद्धा थे, कोटिक नमन। साप्रदायिक ताकतें उनका इस्तेमाल समाज के टुकड़े करने की अपनी घृणित साजिश में करते हैं। यदि आप सांप्रदायिक दृष्टिकोण से नहीं लिखेंगे तो कोई आपको सांप्रदायिक क्यों कहेगा? राणा प्रताप न खोमैनी थे न ही अकबर शंकराचार्य। दोनों राजा थे एक राज्य विस्तार के लिए लड़ रहा था दूसरा अपने राज्य की स्वाधीनता के लिए।


आप में कौन हैं? आप अकेले क्या सकारात्मक कर रहे हैं और वे कौन हैं और क्या नकारात्मक कर रहे हैं? राणा प्रताप निश्चित ही एक बहादुर स्वाभिमानी राजा थे जो अपनी स्वाधीनता के लिए लड़ते रहे राजपुताने के बाकी रजवाड़ों की तरह अपने साम्राज्य को हिंदुस्तान कहने वाले अकबर के दरबारी नहीं बने। राणा प्रताप के आजादी के जज्बे को क्रांतिकारी सलाम। राणा प्रताप को छोड़कर राजपुताने के बाकी राजाओं के वंशज आप में हैं या उनमें? सही कह रहे हैं, यह धार्मिक नहीं दो राजाओं के बीच राजनैतिक लड़ाई थी। एक राज्य के विस्तार के लिए लड़ रहा था और दूसरा अपने राज्य की स्वतंत्रता बरकरार रखने के लिए। यदि हम सिकंदर, अशोक और समुद्रगुप्त के राज्य विस्तार की आकांक्षा की प्रशंसा करते हैं तो हम राणा प्रताप के स्वाधीनता के जज्बे को सलाम करने के बावजूद अकबर की वैसी ही आकांक्षा को पैशाचिक नहीं बता सकते। न अकबर धर्म विस्तार के लिए लड़ रहा था न ही राणा प्रताप। राणा प्रताप कोई खोमैनी नहीं थे न ही अकबर शंकराचार्य था। राणा प्रताप का तोेपची अफगान था और हल्दी घाटी में अकबर के सेनापति मान सिंह थे। सिकंदर की सेना में विजित राज्यों के सैनिक भर्ती होते गए थे, अंग्रेजों की सेना में बहुत ही कम अंग्रेज थे, सारे हिंदुस्तानी ही थे। इतिहास को इतिहास की तरह पढ़िए, सांप्रदायिक शास्त्र की तरह नहीं। सादर। 🙏

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