Saturday, August 8, 2020

5 अगस्त

 भारत के इतिहास में 5 अगस्त भारतीय गणराज्य के हिंदू राष्ट्र में संक्रमण दिवस के रूप में तो जाना ही जाएगा वहीं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के आर्थिक अंग रहे हथकरघा (होंडलूम) उद्योग की समाप्ति दिवस के रूप में भी जाना जाएगा। नासमझी में लोग धर्मोंमाद को संघ परिवार का गुप्त एजेंडा कहते हैं जबकि मामला उल्टा है, मंदिर-मस्जिद के बहाने धर्मोंमाद तो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए राजनैतिक लामबंदी का घोषित खुला एजेंडा है, गुप्त एजेंडा इसकी आड़ में रेलवे तथा बैंकों समेत सरकारी संपत्तियों को धनपशुओं के हवाले करना तथा हैंडलूम और खादी उद्योग जैसे उपक्रमों की विदाई के जरिए मुल्क का आर्थिक पराभव है।


हैंलूम (हथकरघा) उद्योग तथा संबद्ध उपक्रमों से जुड़े लोगों की तीसरी
राष्ट्रीय जनगणना, 2010 के अनुसार, "लगभग 28 लाख परिवार हथकरघा उद्योग से जुड़े हैं जिनमें ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के हैं। इनमें से 17 लाख उत्तर-पूर्व के हैं। यह सुविदित है कि इस तरह के परिवार आधारित कार्यों में परिवार के लगभग सभी सदस्यों की भागीदारी होती है"। जनगणना में बताया गया है कि हथकरघा उद्योग से जुड़ी कामगार आबादी में "लगभग 75% स्त्रियां हैं"। हथकरघा का काम इन परिवारों में दो-तिहाई का पूर्णकालिक उद्यम है। इन परिवारों में लगभग तीन-चौथाई (75%) बुनकर हैं, जो उपरोक्त जनगणना के हिसाब से साल भर में 53.1 करोड़ श्रमिकों के समतुल्य श्रम का संपादन करते हैं।

उपरोक्त जनगणना के अनुसार, इन परिवारों में शूद्र (ओबीसी) एवं अतिशूद्र (अनुसूचित जाति) के परिवारों की संख्या क्रमशः 40.9% तथा 22.1% और 9.8% आदिवासी तथा लगभग 25% अल्पसंख्यक हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत में तमाम पारंपरिक पेशों की तरह बुनकरी के पेशे भी जाति आधारित रहे हैं।

जनगणना के समय (2010) तक इनमें से आधे से अधिक परिवार कच्चे घरों या झोपड़ों में रहते थे तथा इनमें से लगभग आधे 18-35 आयुवर्ग में थे। इनमें लगभग 30% स्कूल गए थे तथा हाई स्कूल तक की पढ़ाई करने वाले मात्र 16-17% थे।

"ज्यादातर बुनकरों ने स्कूली पढ़ाई पूरी नहीं की है। 80-90% बुनकरों के पास बंकर कार्ड (सरकारी सहायता प्राप्त करने का परिचयपत्र) या बैंक में खाता नहीं है। सरकारी सहायता की सुविधा पाना इनके लिए मुश्किल है"।

इन प्रतिकूलताओं के बावजूद ये परिवार हथकरघा उद्योग से परिवार का भरण-पोषण करते रहे हैं। आर्थिक संकट के इस दौर में बेरोजगारी जन्य संकट का घटक अहम है। हथकरघा उद्योग की विदाई से यह संकट और भीषण हो जाएगा।

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