मुसलमानों के डर से बचपन में लड़कियों के विवाह की बात सही नहीं है। यह अपनी कुप्रथाओं पर पर्दा डालने का ब्राह्मणवादी कुप्रचार लगता है। स्त्रियों की आजादी को खतरनाक मानने वली तथा उनको सदैव पिता, पति और पुत्र के अधीस्थ रखने की आचार संहिता की मनुसेमृति बहुत पहले लिखी गयी थी। बहुपत्नी प्रथा बहुत पहले सी थी। बिंदुसार की 100 पत्नियों की बात तो किंवदंती लगती हैं लेकिन कई पत्नियां तो थींं। अशोक अपने तमाम सौतेले भाइयों को मारकर राजा बने थे, उनकी भी कई पत्नियां थीं। बहुपत्नी प्रथा को चुनौती मिली ब्रह्मसमाज आंदोलन से और कानूनी रोक आजाद भारत केसंविधान के प्रवधानों से। राणा प्रताप की 11 पत्नियां थीं। अकबर के साथ तमाम राजपूतों ने स्वेच्छा से अपनी बेटियों के विवाह किए थे। यह सही है कि राणा प्रताप और रानी दुर्गावती के अलावा सारे राजपूत रजवाड़े अकबर के दरबारी बन गए थे। पूरे राजपुताने में अकेले राणा प्रताप अकबर और उसके सहयोगी राजपूतों की संयुक्त शक्ति से आजीवन लोहा लेते रहे, हर पराजय के बाद फिर से शक्ति अर्जित करते और हमला करते। राणा प्रताप के अपने सौतेले भाई जयमाल और शक्ति सिंह अकबर के साथ थे। शक्ति सिंह हल्दीघाटी में चेतक की मृत्यु के बाद राणा प्रताप को अपना घोड़ा दिए। ........... यदि राजपुताने के बाकी रजवाड़े प्रताप के विरुद्ध अकबर का साथ न देते तो राणा प्रताप अजेय रहते। ...........उसी तरह जैसे यदि 1857 में सिंधिया तथा ओरछा, पटियाला, हैदराबाद आदि के रजवाड़े अपनी सेनाओं के साथ 1857 की किसान क्रांति के विरुद्ध अंग्रेजों का साथ न देते तो तभी देश आजाद हो जाता। यहां के सामंती शासकवर्गों ने हमेशा जनता की आजादी के विरुद्ध गद्दारी की है।
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