प्लेटो के रिपब्लिक में शासक वर्गों के लिए कम्यून की व्यवस्था का प्रावधान है जिसमें किसी का निजी परिवार नहीं होगा। स्त्री-पुरुष के समागम का उद्देश्य संतानोपत्ति था तथा जोड़े का चुनाव राजा लॉटरी द्वारा करता था। समागम जब-तब नहीं बल्कि शुभ मुहूर्त में होता था। उसका मानना था कि योग्य स्त्री-पुरुष के समागम से योग्य संतानें पैदा होती हैं, इसलिए राजा को सलाह देता है कि लॉटरी में हेरा फेरी करके जोड़ों का चयन इस प्रकार करे कि योग्य स्त्री-पुरुषों का समागम अधिक-ससे अधिक हो और अयोग्य का कम-से-कम। लॉटरी यानि भाग्य का मामला है तो कोई शिकायत नहीं कर सकता। मां का अपने बच्चे से स्तनपान का ही संबंध रहेगा। पैदा होते ही सब बच्चों को राज्य पोषित-नियंत्रित नर्सरी में डाल दिया जाएगा जहां प्रशिक्षित दाइयां उनका देखभाल करेंगी। कोई न किसी का मां/बाप होगी/होगा न कोई किसी का बेटा/बेटी। सारे स्त्री-पुरुष सभी बच्चों के मां-बाप होंगे और सभी बच्चे सबके बेटा-बेटी और आपस में सब भाई-बहन। उसका चेला उसके परिवार के साम्यवाद की आलोचना में कहता है कि सैकड़ों सगे-भाई बहनों से बेहतर है दूर के एकाध-भाई-बहन। मुझे इस व्यवस्था में यदि युगलबंदी राज्य नियंत्रि न हो तो यह वांछनीय लगती है। जो बच्चे राज्य-नियंत्रित समागम से बाहर की पैदाइश होंगे या अयोग्य होंगे उनकी जिम्मेदारी राज्य की नहीं होगी, उन्हें या तो कहीं किसी अंधेरे कोने में गाड़ दिया जाएगा या निम्न वर्गों के परिवारों को दे दिया जाएगा। (परिवार नियोजन की अनूठी तजबीज)। प्लेटो के आदर्श राज्य में श्रमविभाजन वर्णाश्रम व्यवस्था की अनुकृति है। समाजवाद के पहले चरण में बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी समाज की होगी क्यों कि बच्चे समाज की संपदा होते हैं तथा समाज के समुचित विकास के लिए स्त्री-पुरुष दोनों की सर्जक उत्पादकता की आवश्यकता होगी। वैसे प्लेटो का आदर्श राज्य कभी ठोस रूप नहीं ले सका, इसीलिए इसे यूटोपिया कहा जाता है, वैसे भविष्य की आदर्श व्यवस्था की अवधारणा वर्तमान की व्यवहारिक सीमाओं से परे होती है। वैसे फिलहाल परिवार कितनी भी प्रतिक्रियावादी व्यवस्था क्यों न हो लेखिन इसकी समाप्ति अभी अव्यवहारिक है लेकिन इसके जनतांत्रिककरण से इसकी बेहतरी न केवल संभव है बल्कि वांछनीय भी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment