कोई वामपंथी मनोवैज्ञानिक कारणों से नहीं, अध्ययन एवं चिंतन-मनन के आधार पर समाज के अंतविरोधों की वैज्ञानिक समझ के आधार पर बनता है क्योंकि उसे शोषण-दमन और भेदभाव की व्यवस्था अनुचित और अमानवीय लगती है। यह उसी तरह है जैसे बहुत से पुलिस मर्दवादी समाज की समुचित समझ के चलते स्त्रीवादी बन जाते हैं। मैंने 1987 में एक पेपर लिखा, "Woman's Question in communal Ideologies: A Study into the ideologies of RSS and Jamat-e-Islami". प्रशंसा के ज्यादातरकर पत्र, खासकर विदेशों से, Dear Ms. Mishra के संबोधन से थे। मैं जवाब "Incidently, I am a man" से शुरू करता था। यदि आप मर्दवादी समाज की विडंबनाएं और स्त्रियों के अधिकारों के तर्क समझ सकते हैं तो बिना स्त्री हुए स्त्रीवादी हो सकते हैं। जहां तक वामपंथी के आर्थिक अस्मिता का सवाल है तो एंगेल्स जैसे अपवादों को छोड़कर, ज्यादातप @मोटे तौर पर श्रमिक वर्ग से ही होते हैं। जो भी श्रम (बोद्धिक या भौतिक) बेचकर आजीविका कमाता है वह श्रमिक ही है। एक प्रोफेसर मजदूर ही होता है। लेखक भी मजदूर होता है, इसलिए नहीं कि वह विचार की रचना करता है, बल्कि इसलिए कि वह प्रकाशक के लिए अतिरिक्त मूल्य (surplus value) पैदा करता है जिसे वह मुनाफे के रूपमें उगाहता है। मैंने लंबे समय तक कलम की मजदूरी से ही घर चलाया। ज्यादा मजदूरी पाने वाले मजदूर शासक वर्ग का हिस्सा होने का मुगालता पालते हैं, उन्हें, लैटिन अमेरिका में साम्रज्यवाद के दलालों के लिए गढ़े एंडी गुंटर फ्रैंक की लंपट बुर्जुआ की कोटि में रखा जा सकता है। मेरी कोई बात बुरी लगी हो तो क्षमाप्रार्थी हूं।
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Kollantai, an Ambassador to Hungary and a Minister during Lenin's time strongly as located that women question is a lo g process and can't be resolved even after the revolution. She is considered more as a feminist although she was a staunch Marxist. I wrote on my blog about it when Women reservation bill was passed during congress regime UPA II and pit portrait of Sushama-brands hugging in parliament as if the revolution was already over!
ReplyDeletehttp://newsviews-raceclass.blogspot.com/2010/06/corporate-marxism-takes-toll-on-cpim_21.html?m=1
She had founded "Women's Dept", apprehending political trouble from her by the leadership she was often posted on diplomatic assignments abroad.
ReplyDeleteTo keep her at arm length away for being too vical. In fact, she was the second woman after Rosa Luxemburgh who had ability to take even Lenin on....
DeleteTo keep her at arm length away for being too vical. In fact, she was the second woman after Rosa Luxemburgh who had ability to take even Lenin on....
DeleteI'll read it in your blog
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