अमेरिका में लिंकन के खिलाफ बहुत लिखा गया है। उत्तरी अमेरिका में अमेरिकी मूलनिवासियों (रेड इंडियन्स) का अत्यंत क्रूर नरसंहार लिंकन के शासनकाल में हुआ था। पकड़े गए उनके सरदारों को पिंजड़े में बंद कर प्रदर्शनी लगाया जाता था। 1980 के दशक में छपी डी ब्राउन की पुस्तक 'बरी माई हार्ट एट वुंडेड नी' में इसका बहुत जीवंत वर्णन है। लिंकन की जनता श्वेत अमेरिकी जनता थी। दोगलापन यह है कि एक तरफ हम वसुधैव कुटुंबकम् की बात करेंगे दूसरी तरफ हिंदू-मुसलिम नरेटिव से फिरकापस्ती के नफरत का जहर फैलाएंगे। गर्व से हिंदू होने का उद्घोष करेंगे और आरक्षण एवं शूद्रों (ओबीसी एवं दलित जातियां) के विरुद्ध तमाम तरह के कलुष एवं अवमाननापूर्ण वक्तव्य देंगे। किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास के लिए आत्मावलोकन और आत्मालोचना आवश्यक है वरना विदेशी कर्ज से लदे, कैंची और नेलकटर के लिए भी विदेशों पर निर्भर रहते हुए बाभन, भुइंहार, अहिर ...... हिंदू, मुसलमान होने पर गर्व करते रहेंगे। यूरोप में नवजागऱण (रेनेसां) तथा प्रज्ञा (एनलाइटेंमेंट) क्रांतियों का केंद्रबिंदु आस्था एवं प्रथा के विरुद्ध तर्क और विवेक की दावेदारी थी। बोद्ध बौद्धिक क्रांति के भी यही केंद्रबिंदु थे। तर्क तथा वैज्ञानिकता के रास्ते पर आगे बढ़ने की बजाय हम धर्मोंमादी,अंध-आस्था तथा धर्मांधता के अधोगामी पथ पर अग्रसर हैं।
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