Wednesday, May 22, 2019

फुटनोट 241 (अखिलेश यादव)

अखिलेेश यादव की प्रशंसा की एक पोस्ट पर कमेंट लिखा था, लेकिन पता नहीं क्यों कमेंट पोस्ट नहीं हो पा रहा है। शेयर कर रहा हूं। किसी ने कमेंट किया कि अखिलेश चाहते तो तड़ीपार को उप्र में प्रवेश करने से कानूनन रोक सकते थे।

हां चाहते तो तड़ीपार को कानून उप्र में दंगे भढ़काने के लिए राज्य में घुसने से रोक सकते थे, जैसे लालू ने धर्मोंमादी अडवानी का रथ रोक दिया था। इतना ही नहीं, मुलायम-मोदी की मिली भगत से हुए मुजफ्फरनगर दंगों को न रोकना, बिना वैकल्पिक इंतजाम के कैंपों को तोड़ना .. मुजफरनगर के दंगाइयों पर रासुका हटाना और उन्हें मुसलमानों को आतंकित करने के लिए खुला छोड़ देना तथा 144 के बावजूद खाप पंचायतें पुलिस सुरक्षा में होने देना। विस्थापितों से 5 लाख मुआवजे के बदले अपने गांव का रुख न करने, उस ग्राम पंचायत में दुबारा न बसने का हलफनामा लेना, ठंड में सिसकते विस्थापितों से कभी न मिलने जाना न ही अपने बाप को भेजना, दंगा पीड़ितों को भूखा मरते छोड़ करोड़ों बर्बाद कर सामंती सैफई महोत्सव मे नवाबी रुतबे का जश्न मनाना... इन सबने उसके सारे अच्छे कामों -- बिजली आपूर्ति में क्रांतिकारी बदलाव, मेधावी लड़कियों को स्कूल ही नहीं कॉलेज की पढ़ाई में छात्रवृत्ति का इंजाम, उन्हें मुफ्त में लैपटॉप, परिवहन और विकास के अन्य प्रशंसनीय कामों पर पानी फेर दिया। मुलायम, शिवपाल तथा अमर सिंह के पालतू गुंडों से छुटकारा तब लिया तब तक बहुत देरहो चुकी थी। वरना योगी जैसे लंपट का अखिलेश को हराना मुश्किल होता। कैराना चुनाव प्रचार में अभी तक न मुलायम ने शकल दिखाया न अखिलेश ने। वे लखनऊ में अपने आवास बचाने में लगे हैं, योगी-मोदी को मिनी पाकिस्तान के नारे के साथ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का मौका देना क्योंकि उम्मीदवार रालोद का है। यह सब अखिलेश की अदूरदर्शिता है। मुलायम ने सोचा दंगाइयों का साथ देकर वे जाटों का वोट पा जाएंगे और 39 फीसदी मुसलमानों को अपना रखैल वोट बैंक मान लेना....। मुजफ्फरनगर के वक्त मैं अखिलेश को फेसपुर पर एक लंबा पत्र इनबॉक्स किया था लेकिन कोई नवाब एक मास्टर का खत क्यों पढ़ेगा? उम्मीद है पिछली गलतियों से सीखकर आगे का रास्ता बनाएंगे और धार्मिकता की नौटंकी छोड़कर जनता की समस्याएं उठाएंगे। अखिलेश अगर थोड़ी सी दूरदर्शिता दिखाएंगे तो भाजपाइयों को उखाड़ फेंकने में सफल होंगे। मुझे ऐसा ही लगता है, अन्य तपकों को भी लगना चाहिए कि अखिलेश अहिरवाद से ऊपर उठ चुके हैं। मेरी शुभ कामनाएं।
22.05.2018

No comments:

Post a Comment