Saturday, May 25, 2019

लल्ला पुराण 222 (मोदी विजय)

Avnish Pandey पहली बात तो मैं आय-बाय-साय कभी लिखता नहीं, आपको लगता होगा। जब भी आपको ऐसा लगे सवाल करें। मेरी विचारधारा में कोई कमी नहीं रह गयी, उस विचारधारा का संगठन नहीं है। जिनका खूंटा उखड़ा वे विचारधारा के नाम पर संसदीय तमाशा कर रहे थे। इतिहास का भविष्य का नायक सर्वहारा ही है वह जब अपने को संगठित करेगा तब क्रांति होगी। सर्वहारा अपनीमुक्ति की लड़ाई खुद लड़ेगा लेकिन वह तभी संभव है जब वह वर्गचेतना से लैस हो अपने को संगठित करेगा। कम्युनिस्ट पार्टियां राजनैतिक शिक्षा से अपने चुनावी संख्याबल की सामाजिकचेतना के जनवादीकरण (वर्गचेतना के प्रसार) में असफल रहीं और उन्हें पार्टी लाइन (भक्तिभाव) से हांकती रहीं और उखड़ गयीं। दुनिया भर में सर्वहारा की नई ताकतें भविष्य के गर्भ से निकलेंगी और 1917 की तरह एक बार फिर दुनिया हिल पड़ेगी। सामंतवाद से पूंजीवाद में संक्रमण एक वर्ग समाज से दूसरे वर्ग समाज में संक्रमण था, पूंजीवाद से समाजवाद का संक्रंमण एक वर्ग समाज से वर्गविहीन समाज का संक्रमण है जो निश्चित ही ज्यादा श्रमसाध्य है और ज्यादा समय लेगा। भारत में जातिवाद से वह अधिक जटिल हो गया है।

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