बुद्ध कपिलवस्तु के शाक्य गणतंत्र (संघ) के सदस्य थे जहां राजा शब्द संघ (गण) के मुखिया की उपाधि थी जो वंशानुगत न होकर निर्वाचित पद था। इसलिए बुद्ध को राजकुमार बताने वाली किंवदंती गल्पकथा है। उनके पिता सुद्दोधन शाक्य संघ के जाने-माने सदस्य थे। 20 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ गौतम को सर्वसम्मति से संघ में शामिल किया गया। 8 वर्ष बाद पड़ोसी गण से नदी के पानी के विवाद में युद्ध की नौबत आयी जिसका सिद्धार्थ ने विरोध किया तथा बात-चीत से मसले को सुलझाने का प्रस्ताव रखा जो बहुमत से खारिज हो गया। लगता है प्रचीन एथेंस की ही तरह उत्तर-वैदिक गणतंत्रों में मुकदमे का सामना करने या निर्वसन में चुनाव था। सिद्धार्थ ने निर्वसन चुना।
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