Rajdeep Pathak जी सावरकर के माफीनाम का मसौदा देखा है। राष्टीय अभिलेखागार में आप भी देख सकते हैं। गांधी की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता भी सावरकर ही थे। 1857 की किसान क्रांति को 'भारत का स्वतंत्रता संग्राम' मार्क्स ने 1858 में अपने लेखों में कहा। इसकी 50वी साल गिरह पर सावरकर ने 'भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्रांम (इंडिआज फर्स्ट वार ऑफ इंडिपेंडेंस)' लिखा और भारतीय (हिंदू-मुसलमान) एकता की तारीफ की। काला पानी में एक साल की जेल की तकलीफों ने सावरकर का मनोबल तोड़ दिया और वे माफी मांगना शुरू कर दिए। स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार 5 वी सदी ईशापूर्व यूनानी दार्शनिक डेमोक्रिटस का वाक्य तिलक ने बिना आभार जताए अपने नाम से कह दिया। डेमोक्रिटस ने यूनान में गुलामी के विरुद्ध लिखा था कि स्वतंत्रता हर व्यक्ति का जन्मजात प्राकृतिक अधिकार है। 1907 में भारतीय एकता की बात करने वाले सावरकर 1923 तक साम्राज्यवाद के वफादार हो गए और बांटो-राज करो के सिद्धांत की पुष्टि में हिंदुत्व में दो-राष्ट्र सिद्धांत का प्रतिपादन किया। 1923 में छूटने के बाद अंग्रेजों के लिए सेना में भर्ती के अलावा 1936-37 में मुस्लिमलीग के साथ हिंदू महासभा की बंगाल और उत्तर-पश्चिम सीमांत में सरकारें चलाया। 1942 में जब कांग्रेस के नेतृत्वमें भारत छोड़ो आंदोलन में तमाम नेता जेलों में थे तो सावरकर अंग्रेजी सेना में हिंदू भर्ती का अभियान चला रहे थे। दर असल जो नाम दिल में पूज्य के रूप में बैठा हो उस पर आलोचनात्मक विचार शॉक लगता है। 1907 की किताब अंग्रेजों को चुनौती न लगती तो सावरकर को बंद क्यों करते? लेकिन एक साल के जेल के कष्टों ने उन्हें इतना तोड दिया कि अंग्रेजी वफादारी की सपथ तथा स्वतंत्रता आंदोलन से दूर रहने के वचन के साथ माफीनामे लिखना शुरू कर दिया।
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