Thursday, May 16, 2019

लल्ला पुराण 215 (गोडसे)

गोडसे के महिमामंडन की निंदा पर एक ने श्रद्धानंद की हत्या पर गांधी के विचार पर सवाल किया जैसे कि मैं गांधी का प्रवक्ता होऊं? उस पर:
Uday Bhan Dwivedi बाभन श्रेष्ठ, गांधी वर्णाश्रम समर्थक स्वघोषित हिंदू थेे। जातिवादी असमानता तथा असमानता में समरसता पर गांधी के विचार वैसे ही और लगभग उतने ही अधोगामी थे जितने दीनदयाल के। गांधी ने गौहाटी कांग्रेस में कहा था , "If you hold dear the memory of Swami Shraddhanandji, you would help in purging the atmosphere of mutual hatred and calumny. You would help in boycotting papers which foment hatred and spread misrepresentation. I am sure that India would lose nothing if 90 per cent of the papers were to cease today. . . Now you will perhaps understand why I have called Abdul Rashid a brother and I repeat it. I do not even regard him as guilty of Swamiji's murder. Guilty indeed are all those who excited feelings of hatred against one another. For us Hindus the Gita enjoins on us the lesson of equi-mindedness; we are to cherish the same feelings towards a learned Brahman as towards a chandala, a dog, a cow or an elephant." गांधी ने सही कहा था श्रद्धानंद की हत्या उसी नफरत की राजनीति ने की जिसने गांधी की हत्या की। गांधी अगर बयान देने तक जिंदा रहते तो अपने हत्यारे के बारे में भी वही कहते। मैं गांधीवादी या कांग्रेसी नहीं हूं, इनसे पूछे जाने वाले सवाल उन्हीं से पूछिए। मेरा नाम देखते ही खंजर में शान देने लगते हैं आप समेत कई लोग. ऐसा न करें, बाभन को अहिंसक होना चाहिए। शुभरात्रि।

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