@Shashi Kumar Dwivedi मनुस्मृति मेगस्थनीज के बाद की है। वामियों ने जाति नहीं घुसेड़ दिया, बल्कि ब्राह्मणों के ब्रह्मा ने जीवविज्ञान के नियमों को धता बताते हुए ब्रह्मा के अलग अलग अंगों से जाति समूहों को पैदा किया। मेगस्थनीज का समय ब्राह्मणवादी कर्मकांडी पाखंड के विरुद्ध बौद्ध क्रांति का समय था। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में विभिन्न वर्णों के लिए विभिन्न दंडविधान है तथा दासों का भी जिक्र है। कौटिल्य ब्राह्मण था, वामी नहीं।
बजरंगी इतिहासबोध अफवाहजन्य है तथा बजरंगी तालिबानियों के मौसेरे हैं, उतने ही अमानवीय तथा इंसानियत के उतने ही बड़े दुश्मन। हिंदू तो कोई पैदा नहीं होता, कोई बाभन पैदा होता है कोई चमार। अगर बाभन और चमार समान रूप से हिंदू हैं तो उनमें इतना विद्वेष क्यो? दोनों में बेटी-रोटी का रिश्ता क्यों नहीं?
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