तेजस्वी और अखिलेश तथा मायावती टाइप अंबेडकरवादी जाति के विनाश के अंबेडकर के सपने को चकनाचूर करते हुए जवाबी जातिवाद (ब्राह्मणवाद) के पैरोकार हैं, जिसे परिभाषा की सुविधा के लिए नवब्राह्मणवाद कह सकते हैं। ये नवब्राह्मणवादी प्रतिस्पर्धी जातिवाद की अंगीठी पर अपनी सियासी रोटी सेंकते हुए वामपंथ के नाम से इसलिए आक्रांत रहते हैं कि कामगरों में वर्गचेतना के संचार से इनकी सियासत की दुकानें बंद हो जाएंगी। इस बात को ये हमेशा नजरअंदाज करते हैं कि शासकजातियां ही शासक वर्ग भी रही हैं। क्रांति के बिना जाति का विनाश नहीं और जाति के विनाश के बिना क्रांति नहीं। जयभीम लाल सलाम से इन्हें इसीलिए परेशानी है। बेगू सराय में इनका प्रमुख शत्रु भाजपा नहीं, कन्हैया है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment