DS Mani Tripathi आपसे सहमत हूं, समाज के अभिजनों की समृद्धि के आधार पर इतिहास के किसी कालखंड को स्वर्णकाल नहीं कहा जाना चाहिए, लेकिन इतिहास का यही दस्तूर रहा है। प्राचीन यूनान या रोम के गौरव के महल अमानवीय दास श्रम की बुनियाद पर खड़े थे। जिसने जितना रक्तपात किया वह उतना ही महान। आमजन की भाषा में, सर्वसुलभ जनतांत्रिक शिक्षा से उपजे ज्ञान की बुनियाद पर खड़ा बौद्ध क्रांति का युग, आमजन की दृष्टि से हमारे इतिहास का एक क्रांतिकारी युग था।
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