Tuesday, April 9, 2019

शिक्षा और ज्ञान 180 (आविष्कार की स्थानीयता)

RaviPrakash Sinha ऐतिहासिक विकास क्रम में कई चीजों/बातों का आविष्कार/खोज कहीं होती है और कई की कहीं और. विचार-अन्वेषणों के मेल-जोल से संस्कृतियां संपन्न होती रही हैं. जगन्नाथ मंदिर के प्रसाद में आलू, प्याज, हरी मिर्च, टमाटर, तरबूजा खरबूजा आदि कुछ भी नहींं पड़ता क्योंकि उन्हें विदेशी होने के नाते अपवित्र माना जाता है. 12वीं शताब्दी में मंदिर बनने के समय तक जो सब्जियां अनाज देशज थे उन्हीं का प्रयोग होता है. चाय और सेब की बागवानी यहां अंग्रेजों ने शुरू किया. जिस तरह से यूरोप में मध्ययुग में सामंती धर्मशास्त्र में जकड़े समाज में आर्थिक-बौद्धिक जड़ता छाई रही उसी तरह हमारे मध्य युग में भी. इसीलिए इसे अंधकारयुग कहा जाता है. हर्षवर्धन के बाद किसी प्रतापी राज का नाम बताएं या कालिदास के बाद किसी बड़े विद्वान का? जिस समाज में बहुसंख्यक की वंचना के मनुवादी कानून प्रचलित हों. जिस समाज का बहुसंख्यक शिक्षा से वंचित हो उसकी अपार रचनात्मक संभावना व्यर्थ रह जाती है और लोगों में 'को है नृपति' का भाव घर कर जाता है. हम किसी के वंशजों से नहीं, अनुभव और तथ्य-तर्कों के आधार पर विवेक के इस्तेमाल तथा आत्मालोचनात्मक दृष्टिकोण से सीखने की कोशिस करते हैं. अजीब आदमी हैं, हिंदू तालिबान का विरोध करो या इतिहास की बात करो तो आपके भाईबंधु पाकिस्तान भेजने लगते हैं और आप मुगलों और मुगलों के वंशजों के पास ज्ञान हासिल करने भेज रहे हैं?

09.04.2017

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