होने का एहसास
ईश मिश्र
मेरे शब्द प्रतिबिम्ब हैं मेरे एहसास के
जो खुद हैं परिणाम इन्द्रिय-ग्रहित ज्ञान के
नहीं है सिद्धांत कोई अमूर्त आध्यात्मिक मर्म
यह तो है चिंतन-जनित वुयाव्हारिक, भौतिक कर्म
क्योंकि होने से होता है होने का एहसास
न कि होना होता है एहसास के होने से
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