Tuesday, November 27, 2012

वंश परम्परा

वंश परम्परा
ईश मिश्र 
वंश परंपरा है ऐसा सद्गुण
खोजता नारी में सारे दुर्गुण
लग जाए गर प्रेम की व्याधि
कुलटा की उसे मिले उपाधि
छोड़ेगी यदि कुल-गोत्र के विचार
सम्मान-ह्त्या की होगी किरदार
कुलदीपक का जो दे न सुख
टल नहीं सकता कुलक्षिणी का दुःख
मिल गयी जो पढ़ने की छूट
करने लगी ज्ञान की लूट
नित्य-प्रति जूते खाती है
फिर भी पूजी जाती है
भोग्या की ही नहीं
ठुकराती है पूज्या का पद भी
तोडती है गौरवशाली परम्परा
नारीत्व से महरूम बसुंधरा
करती है नारी-मुक्ति की बकवास
सावित्री-सीता की रीति का सत्यानाश!

जान लिया है नारी ने अब वंश-परंपरा का कुतर्क
सिखाता है जो करना इसानों में इराधार फर्क
ठान लिया है अब तोड़ेगी वो पुश्तैनी वर्जनाएं
गढ़ेगी नएरिश्ते और समानुभूतिक नयी उपमाएं.



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