जिस तरह विनोबा सरकारी साधू थे उसीतरह अन्ना सरकारी अन्संकारी. काँग्रेस सोसलिस्ट पार्टी के वाम एकता के दिनों में मीनू मसानी और अशोक मेहता के साथ लोहिया भी हर बात में कम्युनिस्ट षड्यंत्र की तलाश में प्रकारांतर से वाम आंदोलन को कमजोर किया. मसानी तो सामंतों के साथ मिलकर स्वतंत्र पार्टी बनाया और अशोक मेहता ने भीतर घुस कर क्रान्ति के स्द्धंत के तहत तमाम समाजवादियों के कांग्रेसी होने का पथ प्रशस्त किया. लोहिया की कांग्रेस विरोध की परिणति संविद सरकारों में हुई जिनमें जनसंघ के साथ हाथ मिलाकर सोसलिस्टों और कम्युनिस्टों ने संघ की हासिस्त साम्प्रदायिकता को राजनैतिक स्वीकृति प्रदान किया. १९७० के दशक की शुरुआत तक जेपी के राजनैतिक जीवन का अवसान सा आ गया था, दलविहीन सर्वोदयी राजनीति के सगूफे की हवा निकल चुकी थी. बहु-प्राचारित सभाओं में २००-३०० लोग आते थे. भ्रष्टाचार के विरुद्ध छात्रों के स्वस्फूर्त आंदोलन ने जेपी को नया जीवन दिया.बिना किसी कार्यक्रम के संघ के प्रचारकों के साथ मिलकर सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा दिया जिसकी परिणति जनता सरकारों में हुई और संघ को अपने मंसूबों के लिए धर्मनिरपेक्ष साद मिल गयी. उसके बाद लोहियावादियों ने लूट-लम्पटता-शिक्षा-संथाओं को आपराधिक केन्द्र बनाने का पुन्य कार्य किया. लालू-मुलायम के राज अपराधिओं और गुंडों का राज बना. लोहिया के एक अन्य भक्त भाजपा के साथ मिलकर समाजवाद ला रहे हैं.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment