भौतिकविज्ञान मूल प्राकृतिकविज्ञान है किंतु सभी ज्ञान की बुनियाद गणित है। कई विषय, जैसे स्थिजविज्ञान (स्टैटिक्स) और गतिविज्ञान (डायनमिक्स) गणित भी हैं , भौतिकी भी। लेकिन अवैज्ञानित तेवर के विज्ञान के विद्यार्थियों में भौतिकविज्ञान वालों का अनुपात ज्यादा होता है (अनुभवजन्य ज्ञान), जो कि भौतिक विज्ञान और समाज दोनों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। भौतिक विज्ञान किसी चीज को नहीं मानता जो प्रकारांतर से वस्तु न हो, जिसकी करण-कारण (कॉज-इफेक्ट) ढांचे में व्याख्या नकी जा सके, जो प्रमाणित या सत्यापित न की जा सके। लेकिन सबसे ज्यादा धर्मांध भौतिकशास्त्र वाले ही मिलते हैं। हमारे एक गुरू हैं जो भौतिक शास्त्र में पीएचडी करके लगभग 40 साल भौतिकी पढ़ाए लेकिन 3 फुट लंबा त्रिपुंड लगाकर घूमते थे और मार्गदर्शक मंडल में ढकेल दिए जाने के पहले बलि के लिए 6 पैर वाला बकरा तलाश रहे थे, जिससे वे प्रधानमंत्री बन सकें। इलाहाबाद के बाल्टी बाबा को इसका ठेका दिया था।
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