Monday, August 7, 2023

शिक्षा और ज्ञान 314 (अगर ये दुनिया मिल भी जाए तो क्या)

 बहुत ही मशहूर तथा बहुत ही लोकप्रिय, लेकिन बहुत ही वायवी औऱ गलत संदेश देने वाल एक पुराना फिल्मी गाना है, 'ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है'। यह गाना अकर्मण्यता और बेचारगी का औचित्य और वैधता प्रदान करता है। अरे भाई अगर की बात ही नहीं है, यही दुनिया मिली हुई है, इसी में जीना और इसे बेहतर बनाना है। मनुष्य अपना इतिहास खुद बनाता है लेकिन खुद की चुनी हुई परिस्थितियों में नहीं, इतिहास से विरासत में मिली परिस्थितियों में। निजी जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियों में या तो बेचारगी के तर्क से अकर्मण्यता का बहाना खोजा जा सकता है या साहस से उन्हीं प्रतिकूलताओं को यथासंभव अनुकूल बनाया जा सकता है। हवा को पीठ न देने के लिए संघर्ष तो करना पड़ता है। कई लोग अपनी अकर्मण्यता के लिए दूसरों को दोष देते रहते हैं कि किसी ने प्रतिकूल परिस्थियों में उन्हें आगे बढ़ने में सहायता नहीं किया इसलिए वे आगे नहीं बढ़ पाए और यदि कोई सहायता करता और वे दूसरों पर निर्भरता की सुविधा का लुत्फ उठाते हैं तो उनमें आत्मनिर्भरता और कुछ करने का जज्बा ही नहीं आ पाता। अरे भाई कहीं से प्लेट में रखकर काम की आदर्श परिस्थितियां नहीं आएंगी, जो भी परिस्थितियां हैं, उन्हीं में बेहतर करने का प्रयास करना चाहिए। तो ये दुनिया अगर मिल भी जाए का मामला नहीं है, ये दुनिया मिली हुई है , इसी में जीना और इसी को बेहतर बनाने की कोशिश करना है।

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