आज के दिन (19 अगस्त) भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान चित्तू पांडेय के नेतृत्व में बलिया को स्वतंत्र घोषित कर दिया गया था। काफी आंदोलनकारियों ने शहादत दी थी। अंग्रेज अधिकारियों के आदेश पर आंदोलनकारियों पर गोली चलाने वाले सिपाही भी हिंदुस्तानी ही थे।( यूरोपीय जवजागरण के राजनैतिक चिंतक मैक्यावली, इसीलिए वेतनभोगी सैनिकों को भाड़े के सैनिक कहते हैं) बलिया के स्वतंत्रता दिवस पर Shyam Krishna की पोस्ट पर संस्करणात्मक कमेंट:
1942 आंदोलन में बलिया के शहीदों को क्रांतिकारी सलाम.1991 में हम लोग केदार जी (कवि केदारनाथ सिंह) पर फिल्म की शूटिंग के सिलसले में उनके गांव चकिया से उनके साथ उनकी कविता माझी का शूट करने घाघरा पर बने माझी के पुल के रास्ते बैरिया थाने पर 1942 के शहीदों को श्रद्धांजलि देने रुके थे. कई आंदोलनकारी थाने पर औपनिवेशिक झंडा उतारकर तिरंगा फहराते हुए औपनिवेशिक पुलिस के हिंदुस्तानी सिपाहियों के हाथ शहीद हुये थे. शहादत को सलाम.
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