अररिया में सामूहिक बलात्कार
वह लड़की थी
मान मर्यादा को धता बता कर
मोटर साइकिल सीख रही थी
सीता-सावित्री की परंपरा को
कलंकित कर रही थी
गौरवशाली सनातनी परंपराएं
तोड़ रही थी
सिखाया न जाता यदि उसको सबक
बन जाती वह एक मिसाल
आने वाली पीढ़ियों के लिए
तोड़ रही हैं लड़किया
अब अबला होने का विचार
सहना बंद कर करने लगी हैं प्रतिकार
इसलिए करना पड़ता है
अब सामूहिक बलात्कार
कुत्तों की ही तरह होते हैं गुंडे भी कायर
पत्थर उठाने के अभिनय से
अकेले में भागते हैं दुम दबाकर
झुंड में बन शेर करते हैं शिकार
मिलकर कइयों ने किया सामूहिक बलात्कार
जज भी एक मर्द था
संस्कार टूटने का उसे भी दर्द था
सुन लड़की की चीत्कार पूछा उससे
क्यों हुआ उसके साथ बलात्कार
नहीं हुआ उसके जवाब से वह संतुष्ट
भेज दिया उसे जेल होकर रुष्ट
(ईमिः 23.07.2020)
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