पुराण इतिहास का मिथकीकरण होता है, इतिहास नहीं। पुराण से इतिहास समझने के लिए उसका अमिथकीकरण करना पड़ेगा। रामायण से इतिहास समझने के लिए मनुष्यों की तरह बोलने वाले भालू-बंदरों का मनुष्यीकरण करना पड़ेगा। बौद्ध क्रांति के विरुद्ध ब्राह्मणवादी प्रतिक्रांति के बैद्धिक औचित्य के लिए वाल्मीकि को एक महानायक की जरूरत थी तो मर्यादा पुरुषोत्तम का चरित्र गढ़ा। 17वीं शताब्दी में ब्राह्मणवाद (वर्णाश्रमवाद) के पुनरुत्थान के लिए भगवान की जरूरत थी इसलिए तुलसीदास ने मर्यादा पुरुषोत्तम को भगवान का अवतार बना दिया।
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